स्वामी विशुद्धानन्द वाक्य
उच्चारण: [ sevaami vishudedhaanend ]
उदाहरण वाक्य
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- स्वामी विशुद्धानन्द रामकृष्ण मिशन के ८वें अध्यक्ष थे।
- स्वामी विशुद्धानन्द रामकृष्ण मिशन के ८वें अध्यक्ष थे।
- स्वामी विशुद्धानन्द जी अनेक नामों से विखयात रहें है।
- स्वामी विशुद्धानन्द द्वारा स्थापित यह आश्रम ऋषिकेश का सबसे प्राचीन आश्रम है।
- स्वामी विशुद्धानन्द द्वारा स्थापित यह आश्रम ऋषिकेश का सबसे प्राचीन आश्रम है।
- स्वामी विशुद्धानन्द अपनी अध्यात्म चिकित्सा में ज्योतिष के इन आयामों का समयानुसार उपयोग करते थे।
- स्वर्ग आश्रम-राम झूला पुल स्वामी विशुद्धानन्द द्वारा स्थापित यह आश्रम ऋषिकेश का सबसे प्राचीन आश्रम है।
- ऐसा कहते हुए स्वामी विशुद्धानन्द परमहंस देव ने चेल महाशय को अपने पास ही तख्त पर बैठने का संकेत किया।
- इतना कहकर स्वामी विशुद्धानन्द महाराज उठ खड़े हुए और बोले-व्यक्ति के जन्म के क्षण का बहुत महत्त्व होता है।
- अब चेल बाबू ने अपनी कुण्डली को ध्यान से पढ़ा और पाया कि स्वामी विशुद्धानन्द सौ प्रतिशत सही कह रहे हैं।
- उन्हें इस तरह हैण्ड बैग टटोलते हुए देख स्वामी विशुद्धानन्द ने कहा-रुको और उस कमरे की अलमारी से दो कुण्डली निकाल कर उनके हाथों में थमा दी।
- स्वामी विशुद्धानन्द जी महाराज जिस प्रकार सनातन धर्म के उच्च आध्यात्मिक ज्ञान के ज्वलन्त प्रतीक थे उसी प्रकार नक्षत्र विज्ञान, गन्धविज्ञान, वायुविज्ञान आदि उच्च विज्ञान के भी वे प्रामाणिक उदाहरण हैं।
- स्वामी विशुद्धानन्द जी महाराज जिस प्रकार सनातन धर्म के उच्च आध्यात्मिक ज्ञान के ज्वलन्त प्रतीक थे उसी प्रकार नक्षत्र विज्ञान, गन्धविज्ञान, वायुविज्ञान आदि उच्च विज्ञान के भी वे प्रामाणिक उदाहरण हैं।
- स्वामी विशुद्धानन्द जब ये बातें बोल रहे थे तो ऐसा लग रहा था जैसे कि वे उस कमरे में नहीं बल्कि ब्रह्माण्ड के बीचों बीच खड़े हों, और सब कुछ साफ-साफ स्पष्ट देख रहे हैं।
- काशी में जब स्वामी विशुद्धानन्द और बालशास् त्री जैसे विद्वान् अन्य सैंकड़ों पण्डितों को साथ लेकर स्वामीजी से शास् त्रार्थ करने के लिये आये तो उन्होंने मंत्र भाग की जगह गुह्य सूत्रों के कुछ पन्ने उनके हाथ में दे दिये और उन्हें ही वेद कहा ।
- यही बात श्रीमान स्वामी विशुद्धानन्द सरस्वती जी के जीवन-चरित्र ' विशुद्धचरितावली ' के प्रथम भाग के 109, 110 पृष्ठों में ' सुदर्शन ' संपादक पं. माधव प्रसाद मिश्र ने इस प्रकार लिखी है-संन्यास ग्रहण करने की इच्छा से विरक् त भगवान दत्त (भविष्य गौड़, स्वामी तारकब्रह्मानन्द सरस्वती-स्वामी विशुद्धानन्द सरस्वती के गुरु) घर से निकले।
- यही बात श्रीमान स्वामी विशुद्धानन्द सरस्वती जी के जीवन-चरित्र ' विशुद्धचरितावली ' के प्रथम भाग के 109, 110 पृष्ठों में ' सुदर्शन ' संपादक पं. माधव प्रसाद मिश्र ने इस प्रकार लिखी है-संन्यास ग्रहण करने की इच्छा से विरक् त भगवान दत्त (भविष्य गौड़, स्वामी तारकब्रह्मानन्द सरस्वती-स्वामी विशुद्धानन्द सरस्वती के गुरु) घर से निकले।
- हालाँकि इन पंक्तियों में इस सच को स्वीकारने में कोई संकोच नहीं हो रहा है कि आज के दौर में ऐसे विशेषज्ञ व मर्मज्ञ नहीं के बराबर हैं, जो अध्यात्म साधना और ज्योतिष विद्या दोनों में निष्णात हों, पर कुछ दशक पूर्व भारतीय विद्या के महा पण्डित महामहोपाध्याय डॉ. गोपीनाथ कविराज के गुरु स्वामी विशुद्धानन्द जी महाराज के जीवन में यह दुर्गम सुयोग उपस्थित हुआ था।
के आस-पास के शब्द
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